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संस्था का संविधान

अग्रहरि समाज विकास सेवा संस्था मुंबई नवी मुंबई का संविधान

संस्था का नाम अग्रहरि समाज विकास सेवा संस्था मुंबई नवीं मुंबई

पता, D668 APMC भाजी मार्केट तुर्भे नवीं मुंबई

संस्था का कार्य क्षेत्र – मुंबई नवीं मुंबई

संस्था का उद्देश्य एवं उनकी पूर्ति के साधन- मुंबई नवी मुंबई में निवास कर रहे सभी अग्रहरी वैश्य परिवारों को संगठित कर एक आदर्श समाज की स्थापना करना, उनकी आर्थिक, सामाजिक ,राजनीतिक और सास्कृतिक विरासत को बढ़ाना।
इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए स्थानीय इकाइयों को बनाना, तथा महिला समाज को संगठित करना, सभी अग्रहरि समाज के संगठनों में एकता भाईचारा स्थापित करना, सामूहिक विवाहों को प्रोत्साहित करना ,विचार गोष्ठियों, अधिवेशन, सांस्कृतिक समारोह को आयोजित करना, सामाजिक कुरीतियों एवं रूढ़ियों का उन्मूलन करना, समाज हित के सरकारी योजनाओं के लाभ के बारे में अपने समाज के बंधुओ को जानकारी देना, चिकित्सालय, विद्यालय, पुस्तकालय, वाचनालय का निर्माण करना अथवा प्रबंध करना ,,इसके साथ ही वह सभी कार्य जो संस्था और समाज के हित में हो किया जा सकता हैं।

संस्था के सदस्य – सामान्य सदस्य आवश्यक सदस्यता शुल्क (जो केंद्रीय कार्य समिति तय करेगी) के साथ निर्धारित आवेदन पत्र भरकर संस्था के सदस्य बन सकेंगे ,,उपरोक्त सदस्य संगठन के निर्वाचन में मत देने ,उम्मीदवार बनने व समिति में सभासद एवं पदाधिकारी नामित होने के अधिकारी होंगे।
क्षेत्रीय शाखाएं अपने-अपने कार्यक्षेत्र में सदस्यता हेतु आवश्यक शुल्क निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र होगी।

संरक्षक -अग्रहरि समाज विकास सेवा संस्था के सभी पूर्णकालिक निवर्तमान अध्यक्ष केंद्रीय कार्य समिति के अनुमोदन से इसके संरक्षक होंगे यह कार्य समिति के आग्रह पर विभिन्न विषयों पर सलाह देंगे विवाद की स्थिति में समाधान करेंगे।

संस्था के अंग-
क- केंद्रीय कार्य समिति
ख- क्षेत्रीय कार्य समिति

कार्यकारिणी समिति के पदाधिकारी के अधिकार-
1‐ अध्यक्ष ‐ संबंधित संस्था पर नियंत्रण रखना, नियमावली को पूरी तरह से लागू करने का उत्तरदाई होना ,संगठन से संबंधित समस्त विषयों पर निर्णय लेना, केंद्रीय एवं क्षेत्रीय समितियां के संघटनात्मक, रचनात्मक और सामाजिक कार्यों की समीक्षा करना यह अध्यक्ष का दायित्व होगा।

2- महामंत्री -संगठन की बैठकों की कार्रवाई का विवरण तथा संस्था की ओर से समस्त पत्र व्यवहार एवं अध्यक्ष से प्राप्त कार्यपालन का विवरण एवं संस्था की समस्त गतिविधियों से अध्यक्ष को अवगत कराएगा ।
3-कोषाध्यक्ष- संस्था के लिए धनराशि प्राप्त करेगा कोष एवं संपत्ति का लेखा-जोखा रखेगा तथा निरीक्षक से जांच करा कर संपूर्ण विवरण संबंधित कार्यकारिणी समिति की बैठकों में रखेगा।

संगठन के निर्वाचन की प्रक्रिया केंद्रीय अथवा क्षेत्रीय कार्य समिति का चुनाव लोकतांत्रिक पद्धति से पूरी पारदर्शिता के साथ सभी क्रियाशील सदस्यों की बहुमत से होगा चुनाव ना हो परस्पर सहमति से पदाधिकारी चयनित हो इसका प्रयास चुनाव व्यवस्था को द्वारा करना होगा अन्य विकल्प न होने पर ही चुनाव हो तथा चुनाव केवल अध्यक्ष महामंत्री तथा कोषाध्यक्ष पदों के लिए होगा चुनाव में वही व्यक्ति नामांकन कर सकेगा जिसको संगठन में काम से कम 5 साल का अनुभव हो।

संस्था के अभिलेख-
सदस्यता रजिस्टर
कार्यवाही रजिस्टर
कैश बुक खाता आदि अभिलेख केंद्रीय एवं क्षेत्रीय इकाई को रखा जाना अनिवार्य है।

केंद्रीय कार्य समिति की मीटिंग-
केंद्रीय कार्य समिति की प्रत्येक माह मीटिंग होगी जिसमें विगत माह में किए गए कार्यों का लेखा-जोखा उपस्थित सदस्यों के समक्ष रखना होगा,,, यही नियम क्षेत्रीय इकाइयों पर भी लागू होगा।
3 महीने में एक बार सभी केंद्रीय एवं क्षेत्रीय कमेटियों के साथ संयुक्त रूप से मीटिंग होगी जिसने क्षेत्रीय इकाइयों द्वारा समाज हित के लिए किए गए कार्यों का मूल्यांकन होगा।
1 वर्ष में एक बार सभी कार्य समितियां का संयुक्त अधिवेशन होगा जिसमें समाज के प्रत्येक वर्ग आमंत्रित कर उनसे समाज के उत्थान एवं विकास के लिए उनके विचार लिए जाएंगे तथा संगठन के द्वारा किए गए कार्य का लेखा-जोखा समाज के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।

धारा 1-
संस्था की क्षेत्रीय इकाइयों को संस्था को सुचारित रूप से चलाने की स्वतंत्रता होगी किंतु संगठन के कुछ अहम मुद्दे जैसे संस्था में फेर बदल, संस्था का चुनाव ,और बड़े सामाजिक कार्यक्रमों के लिए केंद्रीय कार्य समिति का अनुमोदन आवश्यक है। इसके अलावा क्षेत्रीय इकाइयों के पूर्ण कालिक अध्यक्ष ही निवर्तमान अध्यक्ष होंगे और वहां पर संरक्षक का पद नहीं होगा, वह अपना कार्यकाल पूर्ण करने के उपरांत केंद्रीय कार्य समिति से स्वत: ही जुड़ जाएंगे और केंद्रीय कार्य समिति में 5 साल सदस्य के तौर पर कार्य करने के उपरांत हुए केंद्रीय कार्य समिति में विभिन्न पदों पर अपना आवेदन कर सकते हैं।

धारा 2-
सभी क्षेत्रीय इकाइयों को प्रत्येक 3 माह में अपने संस्था के द्वारा किए गए कार्यों का लेखा-जोखा केंद्रीय कार्य समिति के सामने प्रस्तुत करना होगा इसके साथ ही केंद्रीय कार्य समिति वर्ष में एक बार सभी कमेटियों की संयुक्त मीटिंग लेकर के सभी कमेटियों के द्वारा किए गए कार्यों को समाज के सामने प्रस्तुत करेंगे।

धारा 3-
सामाजिक एवं सांगठनिक एकता के लिए परस्पर भाईचारा और सहयोग नितांत आवश्यक होता है, ऐसे में सभी से प्रेमवत् व्यवहार करना जरूरी है ,यदि कोई सदस्य किसी सदस्य के साथ संगठन के सदस्य के तौर पर अभद्रता एवं अशोभनीय व्यवहार करता है तो उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए क्षेत्रीय इकाइयों को केंद्र के पास लिखित तौर पर देना होगा,, और केंद्रीय कार्य समिति में यदि इस तरह की कोई अशोभनीय घटना होती है तो उसे केंद्रीय अध्यक्ष केंद्रीय कार्य समिति के साथ मीटिंग लेकर के आरोपित सदस्य पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे ।
आरोपित व्यक्ति पर दोष सिद्ध होता है तो उसे कम से कम एक वर्ष के लिए संगठन से हटाया जा सकता है, यदि दोबारा इस तरह की घटना करता है तो उसे आजीवन संस्था से बाहर किया जा सकता है।

संगठन को सुचारू रूप से चलाने के लिए धन की आवश्यकता होती है ऐसे में प्रत्येक सदस्य को अपनी अपनी कमेटी की सहमति के आधार पर एक निश्चित शुल्क लेने का अधिकार होगा तथा कमेटी का सभासद बनने के लिए प्रत्येक सदस्य से एक बार ₹500 सभासद शुल्क अलग से लिया जाए।
इसके साथ ही सामान्य अग्रहरि समाज के प्रत्येक परिवारों से जो स्वेच्छा से संस्था का सभासद बनना चाहता है उसे ₹100 निर्धारित किया गया है और वह ₹100 देकर के संस्था द्वारा समाज हित के तमाम योजनाओं का लाभ ले सकते हैं ।

धारा 4-
केंद्रीय कार्य समिति का कार्यकाल 5 वर्ष होगा एवं क्षेत्रीय इकाइयों का कार्यकाल 3 वर्ष का होगा क्षेत्रीय इकाइयों द्वारा संगठन के प्रति समर्पित भाव से कार्य करना होगा यदि वह ऐसा नहीं करते तो उनके कार्य समिति को भंग करने का अधिकार केंद्रीय कार्य समिति के पास होगा।

धारा 5-
क्षेत्रीय एवं केंद्रीय कमेटियों के महामंत्री का कार्य कार्य समिति के द्वारा अनुमोदित कार्यों के लिए जवाब देही होगी इनका कार्य मिनट बुक को व्यवस्थित रखना होगा ,
कोषाध्यक्ष को कार्य समिति के आय व्यय का लेखा-जोखा रखना होगा जिसे कार्य समिति के सदस्यों को जरूरत पड़ने पर पूरा ब्योरा प्रस्तुत करना होगा ।
प्रचार मंत्री संगठन के द्वारा किए जा रहे कार्यों का प्रचार प्रसार करेंगे।
संगठन मंत्री संगठन को बढ़ाने के लिए सामान्य अग्रहरि परिवारों के संपर्क में रहकर के उन्हें संगठन से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।

धारा 6-

बड़े स्तर पर सामाजिक कार्यों के खर्च के लिए धन का संग्रह सभी को मिलकर करना होगा।

धारा 7-

क्षेत्रीय इकाइयों को नए सभासद जोड़ने अथवा कार्यरत सभासद निकालने के लिए (कारण के साथ )पूर्व सूचना केंद्रीय कार्य समिति के पास भेजनी होगी।

धारा 8-
किसी भी इकाई के द्वारा समाज से संग्रहित धन जो संगठन में है इसका पूरा हिसाब किताब जानने का सभी को हक होगा और प्रत्येक 3 महीने में अपना हिसाब किताब केंद्र को बताना होगा कि इसके साथ ही किसी भी कार्य समिति का कार्यकाल पूर्ण होने के उपरांत कमेटियों द्वारा संग्रहित धन का हस्तांतरण नई कार्य समिति को करना अनिवार्य होगा।

धारा 9-
संगठन में सभी सदस्य एक समान होंगे यहां पर बड़े छोटे का कोई फासला नहीं होगा,, सभी को फोरम में अपनी बात रखने का अधिकार होगा।
यदि कोई सदस्य फोरम के बाहर संगठन के विषय में किसी भी प्रकार की बात करता है तो वह मान्य नहीं होगा,, किंतु विशेष परिस्थितियों में यदि संगठन के मान सम्मान और सदस्यों के मान सम्मान की बात होगी तो उसे आप फोरम में रख सकते हैं।

यह नियमावली केंद्रीय कार्य समिति द्वारा अनुमोदित एवं सभी के सहमति से बनाई गई है इस नियमावली का पालन हम सभी को करना आवश्यक है।
जो भी इन नियमावली का पालन नहीं करेगा उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार केंद्र के पास होगा।

धारा 10-
सभी कमेटियों का चुनाव पूरी पारदर्शिता ईमानदारी के साथ मनोनयन अथवा वैलेट पेपर पर होगा,, चुनाव के उपरांत आपसी सद्भाव बनाए रखने की जिम्मेदारी भी पूरी कमेटी की होगी, संगठन में पद का सम्मान सभी सदस्यों के लिए अति आवश्यक है यदि कोई अभद्र व्यवहार करता है तो उस पर कठोर कार्रवाई की जाएगी,,

विशेष,,,
संरक्षक _
पूर्णकालिक अध्यक्ष के उपरांत उन्हें संरक्षक कहा जाता है यह कोई संवैधानिक पद नहीं है किंतु सबसे अधिक आदरभाव वाला पद होता है।,, संरक्षक अपने अनुभव के आधार पर कार्य समिति को सलाह देता है ,और विवाद की स्थिति में संरक्षक का फैसला ही अंतिम और सर्वमान्य होता है ।

संयोजक_ यह कमेटी का सबसे मुख्य पदाधिकारी होता है जो संगठन के संचालन , संगठन के उत्थान, विकास एवं सदस्यों की एकजुटता को बनाए रखने के लिए कार्य करता है।
कार्याध्यक्ष _ अध्यक्ष की सहमति से कार्य को संचालित करता है और अध्यक्ष की अनुमति के बाद यह महामंत्री, कोषाध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों से संपर्क कर सामाजिक विषयों पर अपने कार्य का निर्वहन करता है।

निवेदक -अग्रहरि समाज विकास सेवा संस्था, मुंबई- नवी मुंबई

अग्रहरि समाज सेवा विकास संस्था एक गैर-सरकारी संगठन है जो अग्रहरि समुदाय के सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक उत्थान के लिए कार्यरत है।

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